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भारतीय क्रिकेट टीम के नए प्रायोजक स्टार इंडिया कंपनी शायद ग्रहण के साथ आयी है | अभी तक हुए ५ अंतरास्ट्रीय क्रिकेट मैचों में चार में हार और एक मैच बराबरी पर छूटा है , भारत श्रृंखला हार गया है , और खिलाडियों का दोष होने के साथ ही साथ ये भी कहा जा सकता है कि कही भारतीय क्रिकेट टीम के चमकदार सितारों को ग्रहण तो नहीं लग गया ? घर के शेर कहलाने लायक ही रह गयी है भारतीय क्रिकेट टीम ? या फिर विश्व के सबसे ताकतवर क्रिकेट बोर्ड कि कोई बड़ी शाजिश है प्रायोजक चुनने में ?
अगर कुछ समय पीछे जाएं और BCCI द्वारा दिए गए प्रायोजक निर्णय को दोबारा देखे तो ये साफ़ दिखता है कि टीम इंडिया को १२ साल बाद बेसहारा क्यों किया गया | सहारा द्वारा अधिक बोली लगाने के बावजूद प्रयोजन नहीं मिला और कारण कुछ खास नहीं बल्कि ये दिया गया कि तकनीकी खामियों के वजह से उनकी बोली स्वीकार नहीं की गयी और कम कीमत पर स्टार को प्रायोजक चुन लिया गया |
गौरतलब है कि स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क को पहले भारतीय धरती पर होने वाले सभी मैचों को प्रसारित करने के अधिकार दिए गए , फिर स्टार ने भारत और वेस्ट इंडीज के बीच हुई द्विपक्षी श्रृंखला के मुख्य् आयोजक के रूप में पेश किया गया और अब भारतीय क्रिकेट टीम के सीने पर स्टार कि मोहर लग चुकी है |
सहारा द्वारा इन्डियन प्रीमियर लीग में भी एक टीम को खरीदने के पश्चात् अपनी टीम से हाथ खेचने के पीछे भी BCCI से रिश्तों में आयी खट्टास को वजह माना जाता है | सहारा कंपनी पिछले कुछ समय से विवादों के घेरे मैं चल रही है , जितनी तेजी से इस कंपनी ने प्रसिद्धि पायी अब दिन बा दिन ये आरोपों के उलझती जा रही है | हालाँकि ये भी हमें ध्यान में रखना चाहिए कि सहारा अब बांग्लादेश में अपना विस्तार कर रही है एवं बांग्लादेश कि रास्ट्रीय क्रिकेट टीम की मुख्य् प्रायोजक बन चुकी है | धीरे धीरे पडोसी देश की तरफ मुड़ना स्वायत्त: है या फिर धक्का दे कर देश के मुख्य प्रायोजक को हटाना ? सवाल जटिल है पर बिना किसी तथ्य के उत्तर दे पाना नामुमकिन भी है |
बहरहाल भारतीय क्रिकेट टीम की विदेशों में जा कर हो रही दुर्गति पर सिर्फ खेद ही प्रकट किया जा सकता है , कहने को तो ये साल 2015 में होने वाले विश्व कप की तैयारी
है पर अगर तैयारी ऐसी है तो जीत की अपेक्षा बैमानी है | विश्व के सबसे ताकतवर क्रिकेट बोर्ड को विश्वपटल पर खेलने वाले खिलाडियों को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है , खिलाडियों को उनके खेल से मापने की ज़रूरत है | खेल और राजनीती का साथ , विनाश के लक्षण होते हैं , आशा है भारत लगातार दूसरी बार विश्व कप फतह करने के लक्ष्य में सफलता प्राप्त करेगा |
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