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समझ नहीं आ रहा की इस अदभुत निर्णय पर ख़ुशी जताऊ या फिर किसी गहरे, शातिर दिमाग की तारीफ करू | जैसा की हालिया निर्णय के तहत सचिन तेंदुलकर को राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित किया गया है , तो देश को चर्चा का एक नया विषय मिल गया है |
कुछ प्रश्न रोमांचित कर रहे है हमें जैसे:
क्यों एक खेलते हुए खिलाडी को चुना गया , जबकि कई ऐसे खिलाडी है जो सन्यास ले चुके है और वो अपना ज्यादा से ज्यादा समय सदन को दे सकते है ?
क्या कांग्रेस ने यहाँ भी कोई सियासी चाल चली है?
और भी बहुत प्रश्न है , क्योकि मानव की तृष्णा कभी ख़त्म नहीं होती |
जहाँ तक मैं समझता हूँ , दिमागी खेल जोरो पर चल रहा है , कांग्रेस जहाँ अपनी धूमिल छवि को ले कर परेशान दिख रही है और लगातार हर मोर्चे पर मत खा रही है , वही कांग्रेस ने एक बार फिर जनता की भावनाओ पर वार करने या फिर जनता की भावनाओ को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया है .
यहाँ पर कांग्रेस ने अपना एक और सियासी पत्ता खोला है , और ये जताने की कोशिश की है की कहानी अभी बाकि है, जहा कांग्रेस जनता के आदरणीय और भरोसेमंद आदमी को अपने साथ ले कर जाने और उनकी प्रसिद्धि का फायदा उठाने का प्रयास कर रही है , वही इससे एक और बात साफ़ हो गयी की सचिन को एक और उपलभदी दे कर भारत रत्न का प्रबल दावेदार बना रही है और शायद जब २०१४ के चुनाव में कांग्रेस की छवि और नईया डूब रही होगी तो ये पत्ता एक सहारे की तरह काम करे | पर जो भी हो कांग्रेस ने एक बार फिर ये साबित कर दिया की अभी उसने सरे पत्ते नहीं खोले है, और अपने विरोधियो के लिए विगुल भी बजा दिया है .
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