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देश आज इमानदारी का ठप्पा लगवाने आना हजारे के पीछे भाग रहा है , लेकिन देश का सबसे भ्रस्त हिस्सा शायद यही है .
अन्ना हजारे जो की अनसन पर बैठे तोह है लेकिन बोली किसी और की बोल रहे है.आज अन्ना दो शब्द बोल कर मों हो जाते है लेकिन ये शब्द भी शायद उनके नहीं होते.
अन्ना को उनकी ही कोम्मेते के सदस्यों ने ही कठपुतली बना रखा है , मीडिया के किसी भी प्रश्न का जवाब अन्ना के बजे केजरीवाल या किरण बेदी देते है . सब कुछ प्लान येही लोग करते है, ये लोग अन्ना को मुखोटा बना के अपनी तानाशाही कर रहे है,सरकारी बिल तोह ठीक है लेकिन डेल्ही पोलिसे से इन्होने अपनी मनमानी शर्ते पूरी करवाई और अन्ना को निर्देश दिए की वे तब तक बहार न आये जब तक उनकी मांगे न पूरी हो ,उन्होंने अन्ना को देश का हीरो इस लिए बनाया क्योकि किसी वकील या किसी पोलिसे अफसर को जनता कभी इमानदार नहीं मान सकती,पर एक सैनिक जो अपने देश के लिए जुंग के मैदान में उत्तर चूका हो उससे जनता जरुर इमानदार कह सकती है.
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